नितिन गडकरी के द्वारा किया गया ऐलान क्या वास्तविकता में धरातल पर आ सकेगा क्या भारत सिंधु जल समझौते के अंतर्गत आने वाली नदियों का पानी रोक सकता है
नितिन गडकरी ने किया सिंधु समझौते के अंतर्गत आने वाली 3 नदियों का पानी रोकने का ऐलान
श्री न्यूज़ 24
आदित्य सिंह
राष्ट्रीय
पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही मोदी सरकार ने कई कूटनीतिक कदम उठा डाले जैसे मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया गया आयात ड्यूटी बढ़ाकर 200% कर दी गई अलगाववादियों की सुरक्षा छीन ली गई और जल पर प्रहार करके पाकिस्तान को बहुत बड़ी चोट पहुंचा दी भारत की विदेश नीति और कूटनीति का असर है कि आज पुलवामा हमले के बाद दुनिया के ज्यादातर देशों ने भारत को आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का खुलकर समर्थन दे रहे है पर सवाल उठता है कि क्या भारत सिंधु जल समझौता रद्द कर सकता है बिना सिंधु जल समझौते को समझे इस फैसले को सही से समझना मुश्किल है दरअसल सिंधु जल समझौता 1960 पर दोनों देशों के बीच कराची में हस्ताक्षर किए गए दरअसल 1947 के बंटवारे के बाद नदियां दो हिस्सों में बट गई पूर्वी और पश्चिमी और इसी वजह से पाकिस्तान को हमेशा यही डर सताता रहा कि भविष्य में भारत इन नदियों का सहारा लेकर पाकिस्तान के लिए परेशानियां खड़ी कर सकता है इसलिए पाकिस्तान UN तक गया पाकिस्तान के भविष्य की डर की वजह से ही 1960 में सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर किए गए इस समझौते के अंतर्गत सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में बांट दिया गया व्यास सतलज रावी पूर्वी हिस्से में आई और झेलम चिनाब और सिंधु पश्चिमी हिस्से में समझौते के अनुसार भारत रावी व्यास और सतलज का पानी बिना किसी रोक-टोक के उपयोग कर सकता है दूसरी बात पश्चिमी नदियों के कुछ हिस्सों के सीमित अधिकार भी भारत को मिले अब सवाल उठता है कि क्या भारत एक तरफ कोई एक तरफा कोई कार्यवाही कर सकता है तो इसका जवाब है हां भारत पूर्वी हिस्से वाली नदियों जैसे रावी व्यास और सतलज नदियों के अपने हिस्से के पानी पर कार्यवाही कर सकता है क्योंकि इन नदियों के पानी का ज्यादातर भाग का उपयोग पाकिस्तान अपने फायदे के लिए करता था नितिन गडकरी का इन नदियों का पानी रोकने का ऐलान पाकिस्तान के लिए बड़ी मुसीबत बनने वाला है क्योंकि अभी तक पाकिस्तान भारत के हिस्से का ज्यादा से ज्यादा पानी उपयोग करता आया है इस कदम को भारत की तरफ से एक बड़ा कूटनीतिक कदम माना जाएगा क्योंकि इससे पाकिस्तान के लिए जल संकट की समस्या उत्पन्न होगी जो कि पाकिस्तान में पहले से मौजूद है अगर आंकड़ों की मानें तो आने वाले वक्त में पाकिस्तान एक बड़े जल संकट से जूझ ने वाला है यही वजह है कि पाकिस्तान इस फैसले से काफी सदमे में जरूर होगा
श्री न्यूज़ 24
आदित्य सिंह
राष्ट्रीय
पुलवामा आतंकी हमले के बाद से ही मोदी सरकार ने कई कूटनीतिक कदम उठा डाले जैसे मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया गया आयात ड्यूटी बढ़ाकर 200% कर दी गई अलगाववादियों की सुरक्षा छीन ली गई और जल पर प्रहार करके पाकिस्तान को बहुत बड़ी चोट पहुंचा दी भारत की विदेश नीति और कूटनीति का असर है कि आज पुलवामा हमले के बाद दुनिया के ज्यादातर देशों ने भारत को आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का खुलकर समर्थन दे रहे है पर सवाल उठता है कि क्या भारत सिंधु जल समझौता रद्द कर सकता है बिना सिंधु जल समझौते को समझे इस फैसले को सही से समझना मुश्किल है दरअसल सिंधु जल समझौता 1960 पर दोनों देशों के बीच कराची में हस्ताक्षर किए गए दरअसल 1947 के बंटवारे के बाद नदियां दो हिस्सों में बट गई पूर्वी और पश्चिमी और इसी वजह से पाकिस्तान को हमेशा यही डर सताता रहा कि भविष्य में भारत इन नदियों का सहारा लेकर पाकिस्तान के लिए परेशानियां खड़ी कर सकता है इसलिए पाकिस्तान UN तक गया पाकिस्तान के भविष्य की डर की वजह से ही 1960 में सिंधु जल समझौते पर हस्ताक्षर किए गए इस समझौते के अंतर्गत सहायक नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में बांट दिया गया व्यास सतलज रावी पूर्वी हिस्से में आई और झेलम चिनाब और सिंधु पश्चिमी हिस्से में समझौते के अनुसार भारत रावी व्यास और सतलज का पानी बिना किसी रोक-टोक के उपयोग कर सकता है दूसरी बात पश्चिमी नदियों के कुछ हिस्सों के सीमित अधिकार भी भारत को मिले अब सवाल उठता है कि क्या भारत एक तरफ कोई एक तरफा कोई कार्यवाही कर सकता है तो इसका जवाब है हां भारत पूर्वी हिस्से वाली नदियों जैसे रावी व्यास और सतलज नदियों के अपने हिस्से के पानी पर कार्यवाही कर सकता है क्योंकि इन नदियों के पानी का ज्यादातर भाग का उपयोग पाकिस्तान अपने फायदे के लिए करता था नितिन गडकरी का इन नदियों का पानी रोकने का ऐलान पाकिस्तान के लिए बड़ी मुसीबत बनने वाला है क्योंकि अभी तक पाकिस्तान भारत के हिस्से का ज्यादा से ज्यादा पानी उपयोग करता आया है इस कदम को भारत की तरफ से एक बड़ा कूटनीतिक कदम माना जाएगा क्योंकि इससे पाकिस्तान के लिए जल संकट की समस्या उत्पन्न होगी जो कि पाकिस्तान में पहले से मौजूद है अगर आंकड़ों की मानें तो आने वाले वक्त में पाकिस्तान एक बड़े जल संकट से जूझ ने वाला है यही वजह है कि पाकिस्तान इस फैसले से काफी सदमे में जरूर होगा
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