हिन्दू महिला चन्द्रकली तीन सालों से रमजान के पाक महीने मे रहती है रोजा
हिन्दू महिला चन्द्रकली तीन सालों से रमजान के पाक महीने मे रहती है रोजा
श्री न्यूज़ 24
प्रांशु वर्मा
लखीमपुर खीरी
यूं तो माहे रमजान मुस्लिम समुदाय का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने मे मुस्लिम समुदाय पूरा महीना रोजा रहते है तथा पांचो वक्त नमाज अदा करते है ।
कुछ ऐसा ही नजारा लखीमपुर शहर के अर्जुनपुरवा मोहल्ले में रहने वाले हिन्दू परिवार में देखने को मिला। जहां हिन्दू महिला चन्द्रकली मौर्य भी रमजान के पाक महीने मे रोजा रहती है तथा नमाज पढती है। हालांकि चन्द्रकली के अलावा परिवार का कोई अन्य सदस्य रोजा नही रहता है लेकिन रमजान महीने मे उनके पति राकेश मौर्य व उनके तीनो बेटे कुलदीप, अमित व सूरज चन्द्रकली का पूरा सहयोग करते है। इस बाबत चन्द्रकली से बात की गई तो उन्होंने बताया कि करीब पांच साल पहले वह काफी बीमार हो गई थी। लखनऊ तक इलाज कराया गया लेकिन कोई फायदा न हुआ। तब अल्लाह के एक नेक बन्दे ने उन्हे गहलुइया शरीफ मजार पर जाने की सलाह दी। हर जगह से पस्त होकर आखिर वह गहलुइया मे मस्तान मिंया की मजार पर पहुंची। वहाँ जाने के कुछ दिनो बाद से ही उसे फायदा होना शुरू हो गया। तब से वह व उसका परिवार मस्तान मियां का मुरीद हो गया है। अब वह बीते तीन सालों से हर रमजान महीने मे पूरी अकीदत के साथ रोजा रहती है तथा नमाज पढती है।
श्री न्यूज़ 24
प्रांशु वर्मा
लखीमपुर खीरी
यूं तो माहे रमजान मुस्लिम समुदाय का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने मे मुस्लिम समुदाय पूरा महीना रोजा रहते है तथा पांचो वक्त नमाज अदा करते है ।
कुछ ऐसा ही नजारा लखीमपुर शहर के अर्जुनपुरवा मोहल्ले में रहने वाले हिन्दू परिवार में देखने को मिला। जहां हिन्दू महिला चन्द्रकली मौर्य भी रमजान के पाक महीने मे रोजा रहती है तथा नमाज पढती है। हालांकि चन्द्रकली के अलावा परिवार का कोई अन्य सदस्य रोजा नही रहता है लेकिन रमजान महीने मे उनके पति राकेश मौर्य व उनके तीनो बेटे कुलदीप, अमित व सूरज चन्द्रकली का पूरा सहयोग करते है। इस बाबत चन्द्रकली से बात की गई तो उन्होंने बताया कि करीब पांच साल पहले वह काफी बीमार हो गई थी। लखनऊ तक इलाज कराया गया लेकिन कोई फायदा न हुआ। तब अल्लाह के एक नेक बन्दे ने उन्हे गहलुइया शरीफ मजार पर जाने की सलाह दी। हर जगह से पस्त होकर आखिर वह गहलुइया मे मस्तान मिंया की मजार पर पहुंची। वहाँ जाने के कुछ दिनो बाद से ही उसे फायदा होना शुरू हो गया। तब से वह व उसका परिवार मस्तान मियां का मुरीद हो गया है। अब वह बीते तीन सालों से हर रमजान महीने मे पूरी अकीदत के साथ रोजा रहती है तथा नमाज पढती है।
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