मायावती ने खुद को बताया भगवान, FIR दर्ज कराने कोर्ट पहुंचा शख्स
मायावती ने खुद को बताया भगवान, FIR दर्ज कराने कोर्ट पहुंचा शख्स
श्री न्यूज़ 24
मुकेश
नई दिल्ली
बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने खुद को भगवान बताया था. यह बात ऑल इंडिया रैगर महासभा के महासचिव छतर सिंह राछोया को पसंद नहीं आई. वे मायावती के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए दिल्ली की एक अदालत में पहुंच गए. याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने कहा कि इस बात की शिकायत इलाके के डीएम से की जाए. जज पुनीत नागपाल ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज करने के लिए केंद्र या राज्य सरकार की इजाजत जरूरी है. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 जुलाई की तारीख तय की है.यहां आपको बता दें कि इसी साल 3 अप्रैल को बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में एक अजीबोगरीब हलफनामा दिया था. अपने एफिडेविट में मायावती ने कहा था कि जब भगवान राम की मूर्ति बन सकती है तो उनकी मूर्ति क्यों नहीं लग सकती.
लखनऊ के अंबेडकर पार्क में मायावती की मूर्तियां लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया था और उनसे जवाब मांगा था. इस पर सुप्रीम कोर्ट में मायावती की तरफ से जो हलफनामा दायर किया गया है उसमें काफी चौंकाने वाली बातें हैं.
मायावती ने कहा कि जनभावनाओं को देखते हुए उनकी मूर्तियां अंबेडकर और कांशीराम के साथ लगाई गईं और ये कैबिनेट के फैसले के बाद हुआ था. मायावती ने दलील दी है कि अपने समाज के लिए उन्होंने शादी नहीं की और पूरी जिंदगी बहुजन मिशन के साथ जुड़ने का फैसला किया. इसी त्याग की वजह से उनकी मूर्तियां लगाना सही है.
हलफनामा में मायावती ने पूछा था कि सरकारी पैसे से 221 मीटर की भगवान राम की मूर्ति बन सकती है तो उनकी क्यों नहीं. मायावती ने इसी क्रम में गुजरात सरकार द्वारा 3,000 करोड़ रुपये की लागत से सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति और मुंबई में शिवाजी महाराज की मूर्तियों का भी जिक्र किया. मायावती ने अपने हलफनामे में कहा कि उनकी प्रतिमाएं ‘‘लोगों की इच्छा का मान रखने के लिए राज्य विधानसभा की इच्छा’’ के अनुसार बनवाई गई.
श्री न्यूज़ 24
मुकेश
नई दिल्ली
बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने खुद को भगवान बताया था. यह बात ऑल इंडिया रैगर महासभा के महासचिव छतर सिंह राछोया को पसंद नहीं आई. वे मायावती के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए दिल्ली की एक अदालत में पहुंच गए. याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने कहा कि इस बात की शिकायत इलाके के डीएम से की जाए. जज पुनीत नागपाल ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज करने के लिए केंद्र या राज्य सरकार की इजाजत जरूरी है. कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 जुलाई की तारीख तय की है.यहां आपको बता दें कि इसी साल 3 अप्रैल को बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में एक अजीबोगरीब हलफनामा दिया था. अपने एफिडेविट में मायावती ने कहा था कि जब भगवान राम की मूर्ति बन सकती है तो उनकी मूर्ति क्यों नहीं लग सकती.
लखनऊ के अंबेडकर पार्क में मायावती की मूर्तियां लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया था और उनसे जवाब मांगा था. इस पर सुप्रीम कोर्ट में मायावती की तरफ से जो हलफनामा दायर किया गया है उसमें काफी चौंकाने वाली बातें हैं.
मायावती ने कहा कि जनभावनाओं को देखते हुए उनकी मूर्तियां अंबेडकर और कांशीराम के साथ लगाई गईं और ये कैबिनेट के फैसले के बाद हुआ था. मायावती ने दलील दी है कि अपने समाज के लिए उन्होंने शादी नहीं की और पूरी जिंदगी बहुजन मिशन के साथ जुड़ने का फैसला किया. इसी त्याग की वजह से उनकी मूर्तियां लगाना सही है.
हलफनामा में मायावती ने पूछा था कि सरकारी पैसे से 221 मीटर की भगवान राम की मूर्ति बन सकती है तो उनकी क्यों नहीं. मायावती ने इसी क्रम में गुजरात सरकार द्वारा 3,000 करोड़ रुपये की लागत से सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति और मुंबई में शिवाजी महाराज की मूर्तियों का भी जिक्र किया. मायावती ने अपने हलफनामे में कहा कि उनकी प्रतिमाएं ‘‘लोगों की इच्छा का मान रखने के लिए राज्य विधानसभा की इच्छा’’ के अनुसार बनवाई गई.
Post a Comment