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आवारा जानवरों के लिए मसीहा बने श्यामा प्रशांत सेन लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डमें दर्ज हो चुका है नाम

आवारा जानवरों के लिए मसीहा बने श्यामा प्रशांत सेन
लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डमें दर्ज हो चुका है नाम

श्री न्यूज़ 24
डीपी मिश्रा

पलिया कला खीरी

सड़कों पर घूम रहे हैं आवारा जानवर लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। लेकिन शहर में एक शख्स ऐसा भी है, जो इन आवारा जानवरों के इलाज को अपना जुनून बना बैठा है । आवारा जानवरों की तकलीफ और दर्द को अपना समझता है । आवारा पशुओं के लिए वह किसी मसीहा से कम नहीं है। नगर में वह जानवरो वाले डॉक्टर लाल के नाम से मशहूर है। शायद ही कोईऐसा शख्स होगा जो उनका सही नाम जनता होगा। खासकर   कुत्तों के संगआवारा  घूमने वाले बेज़ुबान पालतू पशुओंके प्रति अगाध प्रेम रखने वाले डॉक्टर लाल पशु प्रेम में इतना तल्लीन रहते हैं कि वह अपने आवश्यक काम तक छोड़ देते हैं।नगर या कजिन ग्रामीण इलाके में आवरघुमने वाले पशु के बीमार होने या घायल होने की सूचना पर वह आनन-फानन में साइकिल से पहुंच जाते हैंऔर पशुपर होने वाला खर्च स्वंय वहन करते हैं,किसी पशु की गम्भीर बीमार होता है तो वह जरूरत के मुताबिक यहां  पूर्व में सरकारी पशु चिकित्सालय में रह चुके सीवीओ, डाक्टर यशवंत सिंह से अब भी सलाह लेकर पशु का समुचित  उपचार करते हैं।इस तरह से अब तक वह तमाम बेजुबान पशुओ की जान बच चुके हैं, लोग उनके इस निस्वार्थ सेवा की सराहना तो करते हैं लेकिन सहयोग कुछ गिनेचुने लोग ही करते है, इससे उत्साहित डाक्टर लाल अपने काम में दिन रात जूट रहते हैं। उनके घर में ही एक दर्जन से ऊपर आवारा घूमने वाले  कुत्तों को शरण मिली हुई है। डाक्टर लाल घर से निकलते हैं तो सभी कुत्ते काफी सुर तक उनके साथ रहते हैं। बेजुबान यह पशु इनकी बात समझते हैं जब वह कहते हैं कि वापस जाओ तब सभी वापस घर चले जाते हैं।डाक्टर लाल जिधर से भी निकलते हैं तो लोग अचरज से उन्हें देखतेहैं।इन सभी कुत्तों के रहने और कहने की व्यवस्था डाक्टर लाल खुद करते हैं।

मतलब कि इस दुनिया में जहां इंसान बिना स्वार्थ किसी से बात करना भी मुनासिब नहीं समझता ऐसे समय में श्यामा प्रशान्त सेन सुबह चार बजे से रात्रि 11:00 बजे तक सड़कों पर असहाय पड़े आवारा पशुओं का इलाज कर सुकून महसूस कर रहे हैं। आपको बता दें कि लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके श्यामा प्रसाद सेन उर्फ लाल जी घायल अवस्था में पड़े जानवरों का इलाज पूरी तन्मयता से करते हैं साथ ही उसके इलाज पर होने वाला खर्च भी स्वयं और यार दोस्तों के सहारे चला रहे है। लालजी सुबह जब घर से निकलते हैं तो उनके साथ 28 कुत्ते पीछे पीछे चलते हैं यह सभी कुत्ते उन्हें अपना मसीहा मानते हैं और लाल जी उन्हें अपना सागिर्द।सेन के लिए सभी जानवर एक जैसे हैं चाहे वह आवारा हो या पालतू गाय, भैंस, खच्चर, घोड़ा आदि हो । उन्हें किसी भी जानवर की घायल होने की सूचना मिलती है वह वहां अपनी टीम के साथ या अकेले ही पहुंच जाते हैं और उसे तब तक इलाज करते हैं जब तक वह पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो जाता जरूरत पड़ती है तो घायल अवस्था में जानवर को अपने घर ले आते हैं और उसका इलाज कर वापस छोड़ देते हैं।सेन का कहना है कि इन दिनों आवारा जानवरों से अपने खेतों को बचाने के लिए किसान ब्लेट वाला तार का इस्तेमाल कर रहे हैं। जो कि सरासर गलत है और सरकार ने भी इसके इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है इन तारों से घायल हो रहे पशुओं को देखने वाला कोई नहीं है।
श्यामा सेन की पढ़ाई कोलकाता में हुई वहीं मदर टेरेसा के आश्रम में उन्होंने गरीब निरीह लोगों के उपचार का तरीका आश्रम में देखा वहीं से उनके दिमाग में यह बात घर कर गई कि यदि इंसानों के लिए कोई इतना सहयोग कर सकता है तो हम क्यों ना जानवरों की सेवा करें उनका उपचार करें और उन्होंने अपनी लाखों कमाई वाली मल्टी नेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से आवारा पशुओं का इलाज करने लगे।

2 comments:

  1. Thanks a lot Bhaisahab for your nice reporting. You are only reporter who promote my work whenever it need.

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  2. Its our duty sir and with your help I will do it more sincerely so help me with your valuable deeds.thanks for comment.

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