कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव जीतने के लिए न्याय योजना के रूप में ब्रह्मास्त्र फेंका, न्याय योजना का अर्थव्यवस्था पर कितना पड़ेगा असर इससे कांग्रेस को कोई मतलब नहीं?
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव जीतने के लिए न्याय योजना के रूप में ब्रह्मास्त्र फेंका, न्याय योजना का अर्थव्यवस्था पर कितना पड़ेगा असर इससे कांग्रेस को कोई मतलब नहीं?
श्री न्यूज़ 24
आदित्य सिंह
दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को वोटरों को लुभाने के लिए ब्रह्मास्त्र चला.राहुल गांधी ने कांग्रेस के सत्ता में आने पर देश के सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों को सालाना 72,0000 रुपये की आय का वादा किया.
भारतीय वायुसेना के एयर स्ट्राइक के बाद कांग्रेस की अनुवाई वाला यूपीए बैकफुट पर आ गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्कर देने के लिए गांधी ने न्यूनतम आय योजना स्कीम का ऐलान किया.
माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए एक बार फिर सत्ता में लौट सकती है. C-वोटर के सर्वे के अनुसार, एनडीए को 241 सीटें, जबकि यूपीए को 141 सीटें मिल सकती हैं.
क्या राहुल गांधी का ब्रह्मास्त्र सियासी गलियारे में उनके लिए जीत के दरवाजे खोलेगा? इस सवाल का जवाब 23 मई को चुनावी नतीजे आने पर मिलेगा. सबसे बड़ा सवाल यह है कि राहुल गांध के 'गरीबी पर अंतिम प्रहार' का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
राहुल गांधी के ऐलान के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्विटर की पिच पर फ्रंटफुट पर बैंटिंग का मोर्चा संभाला. उन्होंने लगातार कई ट्वीट्स किए. उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी की 5 करोड़ परिवारों को 72,000 रुपये की मदद से देश पर 3.6 लाख करोड़ रुपये का सालाना बोझ आएगा. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जीवनी लिखने वाले लेखक और पत्रकार मिन्हाज मर्चेंट ने आगाह किया कि इस स्कीम से देश का राजकोषीय घाटा 10 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगा, जो GDP का 5 फीसदी है.
मौजूदा सरकार ने इस साल के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य GDP का 3.4 फीसदी निर्धारित किया है. मर्चेंट की गणना के अनुसार, यह 3.6 लाख करोड़ रुपये भारत के रक्षा बजट का छह गुना और कॉर्पोरेट टैक्स से राजस्व का दो गुना है.
इससे पहले भी दलाल पथ ने इस तरह के लोकलुभावन वादों पर अपनी नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. बाजार के दिग्गज संदीप सभरवाल ने सतर्क करते हुए कहा कि इस तरह की योजना का देश की वित्तीत सेहत पर काफी बुरा असर होगा.
सभरवाल ने कहा, "मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार का राजकोषीय घाटा 6.25 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. राहुल गांधी की न्याय योजना से यह 3.6 लाख करोड़ रुपये और बढ़ जाएगा. इस तरह राजकोषीय घाटे में 60 फीसदी का इजाफा होगा."
जेटली ने ट्विटर पर कांग्रेस पर हमला बोला और राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया. जेटली ने कहा कि कांग्रेस देश को सात दशकों से धोखा दे रही है. किसी भी पार्टी ने ऐसा नहीं किया.
जेटली के अनुसार, विभिन्न स्कीमों के जरिए देश में आर्थिक रूप से कमजोरी तबके को 5.34 लाख करोड़ रुपये की मदद दी जा रही है. इसमें फूड सब्सिडी, फर्टिलाइजर सब्सिडी, आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री किसान योजना जैसी योजनाएं शामिल हैं.
पिछले साल नवंबर-दिसंबर के दौरान राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी ने तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को हराकर अपनी सरकार बनाई थी. इस दौरान पार्टी ने अपने वादे को निभाते हुए किसानों का कर्ज माफ किया था. मगर बैंकिंग इंडस्ट्री ने इसकी कड़ी आलोचना की है.
अभी तक यह साफ नहीं है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो इस स्कीम को लागू करने के बाद दूसरी स्कीमों को जारी रखेंगी या नहीं. इस योजना को लागू करने से महंगाई काफी बढ़ सकती है. जानकारों का मानना है कि इससे नौकरियां कम होंगी और विदेशी पूंजी का पलायन होगा.
दलाल पथ के दिग्गजों का मानना है कि चुनावों के दौरान सरकार और विपक्ष दोनों ही लोकलुभावन वादे करते हैं. उनका मकसद कम आय वाले मतदाताओं को अपने पाले में करना होता है. उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए
श्री न्यूज़ 24
आदित्य सिंह
दिल्ली
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को वोटरों को लुभाने के लिए ब्रह्मास्त्र चला.राहुल गांधी ने कांग्रेस के सत्ता में आने पर देश के सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों को सालाना 72,0000 रुपये की आय का वादा किया.
भारतीय वायुसेना के एयर स्ट्राइक के बाद कांग्रेस की अनुवाई वाला यूपीए बैकफुट पर आ गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्कर देने के लिए गांधी ने न्यूनतम आय योजना स्कीम का ऐलान किया.
माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए एक बार फिर सत्ता में लौट सकती है. C-वोटर के सर्वे के अनुसार, एनडीए को 241 सीटें, जबकि यूपीए को 141 सीटें मिल सकती हैं.
क्या राहुल गांधी का ब्रह्मास्त्र सियासी गलियारे में उनके लिए जीत के दरवाजे खोलेगा? इस सवाल का जवाब 23 मई को चुनावी नतीजे आने पर मिलेगा. सबसे बड़ा सवाल यह है कि राहुल गांध के 'गरीबी पर अंतिम प्रहार' का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
राहुल गांधी के ऐलान के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्विटर की पिच पर फ्रंटफुट पर बैंटिंग का मोर्चा संभाला. उन्होंने लगातार कई ट्वीट्स किए. उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी की 5 करोड़ परिवारों को 72,000 रुपये की मदद से देश पर 3.6 लाख करोड़ रुपये का सालाना बोझ आएगा. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जीवनी लिखने वाले लेखक और पत्रकार मिन्हाज मर्चेंट ने आगाह किया कि इस स्कीम से देश का राजकोषीय घाटा 10 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगा, जो GDP का 5 फीसदी है.
मौजूदा सरकार ने इस साल के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य GDP का 3.4 फीसदी निर्धारित किया है. मर्चेंट की गणना के अनुसार, यह 3.6 लाख करोड़ रुपये भारत के रक्षा बजट का छह गुना और कॉर्पोरेट टैक्स से राजस्व का दो गुना है.
इससे पहले भी दलाल पथ ने इस तरह के लोकलुभावन वादों पर अपनी नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है. बाजार के दिग्गज संदीप सभरवाल ने सतर्क करते हुए कहा कि इस तरह की योजना का देश की वित्तीत सेहत पर काफी बुरा असर होगा.
सभरवाल ने कहा, "मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार का राजकोषीय घाटा 6.25 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. राहुल गांधी की न्याय योजना से यह 3.6 लाख करोड़ रुपये और बढ़ जाएगा. इस तरह राजकोषीय घाटे में 60 फीसदी का इजाफा होगा."
जेटली ने ट्विटर पर कांग्रेस पर हमला बोला और राहुल गांधी को आड़े हाथों लिया. जेटली ने कहा कि कांग्रेस देश को सात दशकों से धोखा दे रही है. किसी भी पार्टी ने ऐसा नहीं किया.
जेटली के अनुसार, विभिन्न स्कीमों के जरिए देश में आर्थिक रूप से कमजोरी तबके को 5.34 लाख करोड़ रुपये की मदद दी जा रही है. इसमें फूड सब्सिडी, फर्टिलाइजर सब्सिडी, आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री किसान योजना जैसी योजनाएं शामिल हैं.
पिछले साल नवंबर-दिसंबर के दौरान राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी ने तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी को हराकर अपनी सरकार बनाई थी. इस दौरान पार्टी ने अपने वादे को निभाते हुए किसानों का कर्ज माफ किया था. मगर बैंकिंग इंडस्ट्री ने इसकी कड़ी आलोचना की है.
अभी तक यह साफ नहीं है कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो इस स्कीम को लागू करने के बाद दूसरी स्कीमों को जारी रखेंगी या नहीं. इस योजना को लागू करने से महंगाई काफी बढ़ सकती है. जानकारों का मानना है कि इससे नौकरियां कम होंगी और विदेशी पूंजी का पलायन होगा.
दलाल पथ के दिग्गजों का मानना है कि चुनावों के दौरान सरकार और विपक्ष दोनों ही लोकलुभावन वादे करते हैं. उनका मकसद कम आय वाले मतदाताओं को अपने पाले में करना होता है. उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए


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