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सीतापुर,कस्बा कमलापुर में रहने वाली आरूषी तिवारी घायल पशु पक्षियों की बनी हमदर्द

सीतापुर,कस्बा कमलापुर में रहने वाली आरूषी तिवारी  घायल पशु पक्षियों की बनी हमदर्द

श्री न्यूज़ 24 
रामु शुक्ल(ब्यूरो)

सीतापुर,कमलापुर

जब तक इंसान और पर्यावरण के बीच संतुलन बना रहेगा तब तक दुनिया के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं है। लेकिन विकास की दौड़ में इंसान ने पर्यावरण के बारे में ज्यादा सोचना छोड़ दिया है। मोबाइल के इस दौर में वैसे भी रेडिएशन के कारण शहरों में पक्षियों की कई प्रजातियां लुप्त होने की कगार में हैं। वहीं दूसरी ओर अपने शौक पूरा करने के लिए हम कभी भी उनकी जिंदगी के बारे में नहीं सोचते हैं और कई बार जाने अंजाने पक्षियों की जिंदगी संकट में पड़ जाती है। लेकिन एक इंसान ऐसा है जो ना सिर्फ इनके बारे में सोचती है बल्कि इनसे प्यार करती है और जरूरत पड़ने पर इन पक्षियों का इलाज भी कराती है। तभी तो सीतापुर के  कस्बा कमलापुर में रहने वाले आरूषी तिवारी  अब तक आधा सैकडा   से ज्यादा  पशु पक्षियों की जान बचा चुकी हैं

कमलापुर कस्बे के राजा कालेज की कक्षा दस की छात्रा आरूषी तिवारी बताती हैं  कि “सन  2016  अप्रैल  महीने में भीषण गर्मी  चल रही थी  और उस समय मै अपने पापा के मित्र के गाँव सरैया पैदल  जा रही थी  । तभी  अचानक एक पक्षी प्यास के कारण सामने आ गिरा ।उसकी ऐसी हालत देख मुझे बहुत बुरा लगा और मैंने उस पक्षी को अपने हाथ में उठा लिया। जिसके बाद में उसे लेकर सामने लगे नल पर ले जाने लगी  लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी।” इस घटना से आरूषी को काफी धक्का लगा और उन्होने उसी दिन फैसला कर लिया कि वो अब अपने जीवन में अन्य कामो की तरह वह  घायल  पशु पक्षियों की देखभाल का भी  काम करेंगे। इसके बाद आरूषी  ने अपने भाईयो  से इस बारे में बात की और  पशु पक्षियों की ‘रक्षा’  के लिया एक  मिशन बना कर कार्य करने लगी।अपने मिशन ‘रक्षा’ के लिए उन्होने सबसे पहले डाँक्टरो से सलह ली और और दवाइयों की ब्यवस्था की  । अपने इस मिशन के जरिये वो  कस्बे सहित आसपास के गाँवो मे लोगो से मिल कर एक टीम बनयी । जो  घायल  पशु पक्षी के बारे में जानकारी दे सकता हो। आरूषी के इस काम में काफी लोग स्वेच्छा से भी जुड़े हैं। इसलिए इनकी टीम अब काफी  सक्रिय हो गई है  । टीम का किसी भी सदस्य को जैसे ही किसी घायल पशु  पक्षी की जानकारी मिलती है वो अपने साथी सदस्यों के साथ उस जगह पर पहुंच जाती है जहां पर घायल पक्षी  या पशु होता है। जिसके बाद वो उसे लेकर घर  लाती  हैं और वहां पर खुद या डाँक्टर के यहा ले जाकर  उस  का इलाज करती हैं। घायल पक्षियों की जान बचाने के अलावा आरूषी  और उनकी टीम  समय समय पर स्कूली बच्चों को पक्षियों के प्रति जागरूक करने का काम भी करती है  और उन्हे अपने घरो मे उनके लिये दाना पानी की व्यवस्था करने को कहती   है। अपने इस मिशन  ‘रक्षा’ के जरिये वो अब तक आधा सैकडा से ऊपर पशु पक्षियों की जान  बचा चुकी हैं। आरूषी और उनकी टीम का कहना है कि ये काम वो पक्षियों के लिए दया भावना से कर रहे है। इसके लिए इन्हें अभी तक पैसे की कोई परेशानी नहीं हुई है। क्योकि कई ऐसे लोग भी होते हैं जो इनके काम की खूब तारीफ करते हैं। तब उनमें से कुछ लोग स्वेच्छिक रूप से दान देते हैं। इसके अलावा टीम के सदस्य भी अपने इस काम के लिये आर्थिक रूप से मदद करते हैं। । उनका मानना है कि उनके ऐसा करने से अगर एक व्यक्ति के मन में भी पक्षियों के प्रति दया की भावना जगती है तो ये उनके लिए बहुत बड़ी जीत होगी।

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