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लोकतांत्रिक व्यवस्था में घातक बनती राजनीति और असमय बयानबाजी

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लोकतांत्रिक व्यवस्था में घातक बनती राजनीति और असमय बयानबाजी पर विशेष-
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साथियों,

  यह हमारे लिए गौरव की बात है कि हमारा देश दुनिया में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और जनतांत्रिक व्यवस्था की धुरी राजनीति पर टिका हुआ हैं। यह बात भी सभी जानते हैं लेकिन दुर्भाग्य है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने वाली  राजनीति का स्वरूप आजादी के बाद से ही धीरे धीरे बदलता और पथभ्रष्ट होकर स्वार्थी होता जा रहा है।यह बात भी सभी जानते हैं कि स्वस्थ राजनीति की परिकल्पना लोकतांत्रिक व्यवस्था में की गई थी लेकिन आज उसका स्वरूप राजनीतिक सत्ता तक पहुंचने का माध्यम मात्र तक सीमित होता जा रहा है। आजादी के बाद से राजनीति कूटनीति मैं बदल कर लोकतंत्र एवं देश दोनों के भविष्य के लिए खतरा बनती जा रही है। राजनीतिक लोग सत्ता तक पहुंचने के लिए सारे उसूलों सिद्धांतों को ताक पर रखकर देश की अस्मिता तक को दांव पर लगाने से नहीं चूक रहे हैं। जैसा कि मैंने कल भी कहा था आज जम्मू कश्मीर की समस्या हमारी राजनीति का ही प्रतिफल है जिसे आज पूरा देश झेल रहा है। हम ने यह भी कहा था की हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीति ऐसी है जिसके चलते आज जम्मू कश्मीर में
कुछ लोग राजनीतिक लाबादा ओढं  आतंकवाद को बढ़ावा  एवं आतंकवादियों को बना दे रहे हैं और हम लोकतांत्रिक व्यवस्था के चलते उन पर प्रतिबंध नहीं लगा पा रहे हैं। राजनीत में सत्ता तक पहुंचने के लिए ही आज हमारा पड़ोसी देश   पाकिस्तान आतंकवाद समर्थक अपनी गुप्तचर एजेंसी और सेना के हाथों खेलने पर मजबूर हैं  और उसे मजबूरी में राजनीति लोकतांत्रिक व्यवस्था एवं सिद्धांतों के विपरीत खिलौने की तरह खेलना पड़ रहा है। कमोवेश यही हाल पूरी दुनिया मैं फैली  राजनीतिक स्थिति का है और हर जगह राजनीति सत्ता पाने के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था एवं सिद्धांतों को  दाव पर लगाई जा रही है। सत्ता तक पहुंचने के लिए वह सब कुछ हो रहा है जो लोकतांत्रिक व्यवस्था मैं देश के हित मैं नहीं होता है। हर देश की राजनीतिक पार्टियां सत्ता तक पहुंचने के लिए दैशहित को नजरअंदाज कर  कूटनीतिक चालें चलकर देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। हमारे देश की राजनीति भी धीरे धीरे कुछ इसी राह पर चल पड़ी है और सत्ता हथियाने के लिए सभी राजनीतिक दल अपने अपने कूटनीतिक दांव चलकर एक दूसरे  को नीचा दिखाने के लिए देश की अस्मिता को दांव पर लगाने से नहीं चूक रहे हैं। इस समय जबकि पूरे देश में पुलवामा आतंकी हमले से शोक की लहर फैली है और पूरा देश आतंकवाद की चपेट में आता जा रहा है। ऐसे समय में भी हमारे देश की राजनीति और राजनेता  सत्ता तक पहुंचने के लिए राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं। यह ऐसा समय है जबकि सभी दलों को राजनीति से दूर हटकर एकजुटता प्रदर्शित करने की जरूरत है लेकिन अफसोस है कि आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए इस समय भी राजनीतिक पांसे फेंकने से कोई भी राजनीतिक दल बाज नहीं आ रहा है। विपक्षी दल के लोग जहां सत्ताधारी दल  पर आतंकी हमले की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेकने का आरोप लगा रहे हैं तो वही सत्ता दल विपक्षियों पर दुश्मनों की भाषा बोलने का आरोप लगा रहा है। राजनीतिक लोग यह भूल रहे हैं जब देश सुरक्षित रहेगा तभी वह राजनीति कर सकते हैं इसके बावजूद सत्ता लोलुप राजनीतिक लोग इस दुख की घड़ी में भी कूटनीतिक राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं। आतंकी हमलों में लगातार भारत मां के लाल शहीद हो रहे हैं लेकिन उनकी शहादत के साथ भी राजनीति होने लगी है।  हमारे राजनेता आतंकियों एवं उनके आकाओं के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने की जगह एक दूसरे पर दोषारोपण कर आगामी लोकसभा चुनाव को मजबूती देने में जुट गए हैं जबकि आतंकी लगातार अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। इस समय राष्ट्रहित में राजनीति कर एकजुटता दिखाने का समय है क्योंकि इस समय राजनीतिक बयानबाजी कर आपस में उलझने का मतलब राष्ट्र विरोधी ताकतों एवं आतंकियों के मनोबल को बढ़ावा देने जैसा है।इस समय पूरा देश बदले की आग में सुलग रहा है और हमारे राजनेता अपनी राजनीति चमकाने  मैं जुटे हुए हैं। इस समय एक दूसरे की खामियों को ढूंढने एवं पलटवार करने का समय नहीं है इस समय चुनावी राजनीति  स्वार्थ पूर्ति के लिए बयानबाजी कर एक दूसरे का दोषारोपण करना देश हित में कतई नहीं कहा जा सकता है।धन्यवाद।। भूलचूक गलती माफ।। सुप्रभात/वंदेमातरम/गुडमार्निंग/नमस्कार/अदाब/शुभकामनाएं।। ऊँ भूर्भुवः स्वः------/ऊँ नमः शिवाय।।। 
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भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी।
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